Sunday, 28 September 2014

History of Prithviraj Chauhan in Hindi - The Indian Last Warrior

मेवात पर आक्रमण

सोमेश्वर राज चौहान ने पृथ्वीराज और जमावती के विवाह के बाद अपना ध्यान फिर से राज्य विस्तार की ओर लगाया। उष समय अजमेर में शांति विराज कर रही थी, प्रजा में किसी तरह का आसंतोष न था। सोमेश्वर राज चौहान शांति के विरोधी न थे जब बातों से बिलकुल भी काम नहीं निकलता था तभी केवल वो शस्त्र का प्रयोग करते थे। उस समय मेवात के राजा मुद्गलराय सोमेश्वर के अधीन थे पर फिर भी वे उनको कर नहीं देते थे इस पर सोमेश्वरराज ने उश्के पास अपना दूत भेजवा कर समझाना चाहा पर वो नहीं माने। अंत में लाचार हो कर उन्हें अक्रामण करना पड़ा परन्तु वे मेवात के सीमा पर जा कर रुक गए वे ये सोचने लगे की बिना कारण ही इतने सारे मनुष्यों का संहार हो जायेगा यदि बातों से ही काम निकल जाता तोह अच्छा होता इसलिए सीमा पर उन्होंने फिर से अपना एक दूत भेज कर उन्हें समझाना चाहा पर मुद्गलराय ने एक न मानी। सोमेश्वर बहुत ही उलझन में पड़ गए की उनसे कर लेना उचित होगा या इतने मनुष्यों की जान बचाना। वे कुछ विचार नहीं कर पाए अंत में उन्होंने इसकी सूचना पृथ्वीराज को अजमेर में दे दी। पृथ्वीराज चौहान ने मन ही मन ये सोचा की पिताजी ये कर क्या रहे है कभी सीधी ऊँगली से भी भला घी निकला है, अब पृथ्वीराज रातों रात मेवात की सीमा में जा पहुंचे उस समय सोमेश्वरराज चौहान सो रहे थे, इधर पृथ्वीराज ने दुश्मन की संख्या का पता लगा कर उनमे आक्रमण कर दिया और मुद्गल राय को पकड़ कर सोमेश्वर राज की सामने पेश किया उन्होंने उसे कैदखाने में डाल दिया। इस तरह से मेवात पर सोमेश्वर राज का अधिकार हो गया।


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