Monday 29 September 2014

History of Prithviraj Chauhan in Hindi - The Indian Last Warrior

भीमदेव का आबू पर विजय

उनके इस वीर गाथाओं के कारण ना जाने कितने प्रसन्न हुए और न जाने कितने ही दुखी। दुखी होने वालों में से एक था भीम देव सोलंकी। भीमदेव का एक भाई था सारंगदेव और सारंगदेव का आठ पुत्र थे। जब सबसे बड़ा बेटा पिता की गद्दी पर बैठा तो उसने कई तरह से अपनी प्रजा को कष्ट पहुचने लगे इसे देखकर भीमदेव बहुत अप्रसन्न हुए, इसका परिणाम ये हुआ की प्रताप सिंह अपने सातों भाइयों को अपने साथ मिला कर भीमदेव का खुलमखुल्ला भीम देव का विरोधी बन गया और राज्य में लूट मर मचाने लगा, अंत में भीमदेव ने इन्हें रोकने के लिए अपनी सेना से काम लेना शुरू किया अब दोनों पक्ष एक दुसरे को हानि पहुचाने का काम करने लगे । एक बार भीमदेव की सेना एक नद्दी के किनारे पड़ाव डाली हुई थी भीमदेव का फीलवान उनके हठी को लेकर नदी में स्नान करवाने ले गया था प्रताप सिंह के भाइयों ने फीलवान और उश्के हाथियों को वही मार डाला इससे भीमदेव ने उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया अपनी इस दुर्व्यवहार के कारण वे लोग और इस राज्य में रुकना ठीक नहीं समझे और सातों भाई पृथ्वीराज चौहान के दरबार में चले गए। शरणगत के प्रतिपालन से एक राजपूत कभी मुंह नहीं मोड़ सकते इसलिए वे उन्हें दरबार में ही रख लिए। पृथ्वीराज ने उन्हें वहां रख तो लिया पर उनका वहां निर्वाह नहीं हो पाया, केवल मुछ पर ताव देने पर कान्हा ने उन सात भाइयों का सर काट दिया। कान्हा के इस व्यवहार से पृथ्वीराज बहुत दुखित हुए पर वो इतने साहसी और वीर योद्धा को खो नहीं सकते थे। इस कारण से कान्हा सात दिन तक दरबार में नहीं आये लेकिन पृथ्वीराज ने उन्हें दरबार में बुला कर कान्हा के आंख में पट्टी बाँध दी ताकि वो किसी और को मुछ पर ताव देते हुए न देख सके ये पट्टी केवल नहाने समय, सोने समय और युद्ध के समय खुलती थी। जब भीमदेव के पास प्रताप सिंह के सातों भाइयों की मौत का खबर मिला तब ये इर्ष्या की आग और भी धधक उठी अब उश्के पास प्र्रिथ्विराज को निचा दिखाने का एक अवसर मिल गया था, भीमदेव ने अजमेर पर हमला करने की सोची पर वर्षा ऋतू के शुरू हो जाने के कारण वो ऐसा कर न सका। गुजरात का राजा भीमदेव बहुत ही प्रकर्मी था। उसने अपनी पत्नी के सहेलियों चन्द्रावती से आबू के राजा इच्छन कुमारी की चर्चा सुनी थी अब वो उससे शादी करने को ठान लिया उसने राजा सलख को उशकी पुत्री से विवाह करने के लिए पत्र लिख दिया पर पत्र इतने गर्वित शब्दों में लिखा गया था की राजा सलाख ने इसे अपना अपमान समझा और बड़े ही नम्र अक्षरों में लिखा की वो उनकी पुत्री का विवाह पृथ्वीराज से तय कर चुके है आपको इस विषय में जिद नहीं करनी चाहिए। बातों ही बातों में बात इतनी ज्यादा बढ़ गयी की भीमदेव बहुत क्रिधित हो गया वो राजा सलख को डरा धमका कर चला गया उस्क्व जाते ही राजा सलख ने सोमेश्वर को सारी बातें बता दी और ये भी लिखवा कर भेजवा दिया की शादी जल्द से जल्द हो जानी चाहिए। उस समय पृथ्वीराज दिल्ली में अपने नाना जी के पास थे, इधर भीमदेव ने पृथ्वीराज को पत्र लिख कर समझाना चाहा की वो उनके और इच्छन कुमारी के रास्ते से हट जाए, इधर उसने ये पत्र पृथ्वीराज को लिखा और एक तरफ उशने अपने अधिन राजाओं के साथ मिलकर आबू पर आक्रमण कर दिया। राजा सलख पहले से ही सावधान था उन दोनों राज्यों में बहुत देर तक युद्ध हुआ, परन्तु सारे सरदारों के साथ राजा सलख मारा गया। और इस तरह से आबू पर भीमदेव का अधिकार हुआ।


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